बुधवार, 13 जून 2012

बेटियां

बेटियां बगावत नहीं करती

और अगर करती है तो
टूट जाते हैं सपने
पिता और माँ के
बहनों के ...

लोग ताने देते हैं

जुबान और कानो के बीच
आती हैं बातें
बेतरह
चरित्र का भूगोल
बिगड़ जाता है अचानक

मान -सम्मान को कठघरे में
खड़े करने वाली लड़की
की बहने ....
भी खड़ी कर दी जाती हैं कठघरे में

लोग हर बात पर
देखते हैं गलतियाँ
और
संदिग्ध हो जाती हैं
बहने ....

बेटियां बगावत नहीं करती
क्योकि ....
इज्ज़त की गठरी
उनका साथ नहीं छोडती
आजन्म ....

वे नाज़ुक शरीर में
मजबूत कंधे छुपाये रखती हैं
 बे-वक़्त
आये तूफान में भी
खड़ी रहती हैं
चट्टान सी

बेटियां बगावत नहीं करती
क्योकि
 उसकी कीमत
अंततः उनसे ही वसूली जाती है

1 टिप्पणी:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बेटियाँ बगावत कैसे करें ॥इसी समाज में रहना है ना ... गंभीर रचना